क्या ख़ूबसूरती सिर्फ बाहरी दिखावे से हैं
क्या मन की खूबसूरती महज शब्द
ये सवाल तुम से भी है और खुद से भी
मैं खूबसूरत नहीं
जिसे देखकर तुम चाँद सा कह सको
जिसकी आँखों को तुम झील की उपमा दे सको
जिसके गोरे बंदन को तुम ताजमहल कहो
जिसे देखते हुए तुम उसे देखते रहे हो
हाँ मैं तुम्हारी नज़र से दिखने में खूबसूरत नहीं
जिसे तुम सुंदरता का ताज पहना सको
जिसे महफ़िल में तुम अपनों से मिला सको
जिसकी तारीफ में कोई शायरी बना सको
जिसके लिए तुम खुद को भुला सको
No comments:
Post a Comment